बाइबिल में बात कर रहे जानवर

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बाइबिल में बात कर रहे जानवर

2 जानवर जो बाइबिल में बोलते हैं

रीना-वलेरा 1960 (RVR1960)

1. नाग। उत्पत्ति 3

1 परन्तु सर्प यहोवा परमेश्वर के बनाए हुए मैदान के सब पशुओं से अधिक धूर्त था, जिस ने उस स्त्री से कहा, परमेश्वर को जीत लो, उस ने तुम से कहा है, कि इस वाटिका के सब वृक्षोंमें से कुछ मत खाओ?

2 और उस स्त्री ने सर्प को उत्तर दिया, कि हम बाटिका के वृक्षोंके फल खा सकते हैं;

3 परन्तु उस वृक्ष के फल के विषय में जो बाटिका के बीच में है, परमेश्वर ने कहा, उस में से न खाना, और न छूना, ऐसा न हो कि मर जाए।

4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तू न मरेगी;

5 परन्तु परमेश्वर जानता है, कि जिस दिन तुम उस में से खाओगे, उस दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और भले बुरे का ज्ञान पाकर तुम परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।

6 और उस स्त्री ने देखा, कि वह पेड़ खाने में अच्छा और आंखोंको भाता है, और बुद्धि पाने के लिथे एक लोभ का पेड़ है, और उस ने उसका फल तोड़कर खाया, और अपके पति को भी दिया, जो उसके समान ही खाया करता था। उसके।

7 तब उनकी आंखें खुल गईं, और वे जान गए कि वे नंगे हैं; तब उन्होंने अंजीर के पत्ते सिल दिए, और ताबूत बनाए।

8 और उन्होंने यहोवा परमेश्वर का शब्द दिन की हवा में बाटिका में टहलते सुना, और वह पुरूष अपक्की पत्नी अपक्की पत्नी यहोवा परमेश्वर के साम्हने से बाटिका के वृझोंके बीच छिप गया।

9 परन्तु यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को पुकारकर कहा, तू कहां है?

10 उस ने कहा, मैं ने बाटिका में तेरा शब्द सुना, और मैं डर गया, क्योंकि मैं नंगा था, और छिप गया

11 और परमेश्वर ने उस से कहा, तुझे किसने सिखाया कि तू नंगा है? क्या तुमने उस पेड़ से खाया है जिसे मैंने तुम्हें खाने के लिए नहीं भेजा था?

12 तब उस पुरूष ने कहा, जिस स्त्री को तू ने संगी होकर मुझे दिया था, वह वृक्ष मुझे दिया, और मैं ने खा लिया।

13 तब यहोवा परमेश्वर ने उस स्त्री से कहा, तू ने क्या किया है? और महिला ने कहा: सांप ने मुझे धोखा दिया, और मैंने खा लिया।

14 और यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो किया है, उसके कारण सब पशुओं और मैदान के सब पशुओं में से तुम शापित हो; तू अपनी छाती पर चलकर चलेगा, और अपने जीवन में प्रतिदिन मिट्टी खाएगा।

2. बिलाम का गदहा। संख्या 22. 21-40

27 और जब गदही ने यहोवा के दूत को देखा, तब वह बिलाम के नीचे लेट गया; और बिलाम ने क्रोधित होकर गदहे को लाठी से मारा।

28 तब यहोवा ने गदही के लिये अपना मुंह खोला, और उस ने बिलाम से कहा, मैं ने तुझ से क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार कोड़े लगे?

29 बिलाम ने गदही से कहा, क्योंकि तू ने मेरा ठट्ठा किया है। काश मेरे हाथ में तलवार होती, जो अब तुम्हें मार देती!

30 और गदही ने बिलाम से कहा, क्या मैं तेरी गदही नहीं हूं? जब से तू मुझ पर है, तब से आज तक तू मुझ पर सवार है; क्या मैं तुम्हारे साथ ऐसा करता था? और उसने उत्तर दिया: नहीं।

31 तब यहोवा ने बिलाम की आंखें खोलीं, और यहोवा के उस दूत को देखा, जो मार्ग पर था, और उसके हाथ में नंगी तलवार थी। और बिलाम दण्डवत् करके मुंह के बल झुक गया।

32 और यहोवा के दूत ने उस से कहा, तू ने अपक्की गदही को तीन बार क्योंकोड़ा है? देख, मैं तेरा साम्हना करने को निकला हूं, क्योंकि तेरा मार्ग मेरे साम्हने टेढ़ा है।

33 गदही ने मुझे देखा है, और तीन बार मेरे साम्हने से दूर हो गई है, और यदि वह मुझ से न फिरा होता, तो मैं भी अब तुझे मार डालता, और वह उसे जीवित छोड़ देती।

अंतर्वस्तु